




महामंडलेश्वर यति नरसिंहानंद ने जितेन्द्र नारायण सिंह के बीच संबंधों को लेकर कही बड़ी बातें
बोले, जितेन्द्र नारायण मेरे भाई पर संबंध दोनों ओर से निभाए जाते हैं इस पर गौर करें
शंकराचार्य के कभी साथ रहे संत बने पीठाधीश्वर के आश्रम में दरार की बोई जा रही बीज
दैनिक समाचार, हरिद्वार: धर्म संसद में हेट स्पीच से शुरू हुई सनातन को लेकर संतों की सियासत में बिखराव नजर आने लगा है। जितेन्द्र नारायण सिंह त्यागी उर्फ वसीम रिजवी को लेकर धर्म संसद में बेहद मुखर दिखने वाले महामंडलेश्वर यति नरसिंहानंद गिरी के बीच दरार पड़ती दिख रही है। हालांकि यति नरसिंहानंद हरिद्वार में दिए बयान के दौरान उन्होंने जितेन्द्र नारायण सिंह त्यागी को अपना भाई करार दिया लेकिन इशारों में कहा कि ताली एक हाथ से नहीं बजती और कुछ संतों के इशारों और मीडिया को मैनेज करने में माहिर कुछ संतों ने उनके बीच दरार डालने की कोशिश की है। संकेत देते हैं कि ये वहीं लोग हैं जो 2010 के महाकुंभ में शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के साथ रहते थे और बाद में संयास लेकर भगवा धारण कर लिया और एक पीठ के भूपतवाला में पीठाधीश्वर बने हैं।
सर्वानंद घाट पर महामंडलेश्वर यति नरसिंहानंद गिरी महाराज व स्वामी अमृतानंद ने ये इशारे किए।
महामंडलेश्वर यति नरसिंहानंद गिरी जी महाराज ने कहा कि आज सनातन धर्म अभूतपूर्व संकट में है। हर ओर से सनातन धर्म को समाप्त करने का प्रयास किया जा रहा है। जितेंद्र नारायण सिंह त्यागी उर्फ वसीम रिज़वी और अपने संबंधों पर चर्चा के दौरान उन्होंने दैनिक समाचार से कहा कि कुछ भेड़ की खाल में छिपे हुए भेड़िये अर्थात भगवा में छिपे हुए मुसलमानों के दलाल ये झूठी अफवाह फैला रहे हैं कि मैंने उनका और उनके परिवार का उनके जेल में रहने के दौरान साथ नहीं दिया तो मैं उन्हें बता दूँ कि मेरे पास कोई दलाली या किसी संस्था का कोई पैसा नहीं है। मेरे पास तो तो धर्म का पैसा है जो मेरे पास मेरे ट्रस्ट के एकाउंट में मेरे साथी और हिंदूवादी भक्तगण दान करते हैं। इसीलिये मेरा दिया हुआ अधिकांश सहयोग बैंक के माध्यम से हुआ है। साफ कहा कि जितेन्द्र त्यागी ने जब भी कुछ कहा तो हमने तुरंत उनके परिवार को सहायता की। जिसमें त्यागी के विदेश में पढ़ रहे बेटे की फीस भी शामिल है और इस सबका भुगतान बैंक के माध्यम से हुआ है। हमने त्यागी की जमानत का मुकदमा यहाँ हरिद्वार से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक अपने साथियों और ट्रस्ट के पैसों से लड़ा।

महामंडलेश्वर यति नरसिंहानंद गिरी
सुप्रीम कोर्ट में जितेन्द्र त्यागी के बताए वकील खड़े किए जिनमें सिद्धार्थ लूथरा को विश्व हिंदू परिषद के अंतरराष्ट्रीय कार्याध्यक्ष आलोक से प्रार्थना करके खड़ा किया और गौरव भाटिया को खुद खड़ा किया। गौरव भाटिया का सारा भुगतान हमने किया और सिद्धार्थ लूथरा का प्रारंभिक भुगतान हमने किया। केवल अंतिम तारीख पर एक वकील त्यागी के परिवार वालों ने खड़ा किया था जिसका भुगतान उन्होंने खुद किया है। जो लोग ये कह रहे हैं कि हम जितेन्द्र त्यागी को जेल से लेने नहीं गए वो जरा बताए की त्यागी के जमानत की व्यवस्था करके उनके वेरिफिकेशन में कौन लोग लगे हुए थे। हमारे पास हमारी एक एक बात का प्रमाण है। अगर किसी को इन बातों में कोई संशय है तो वो जितेंद्र नारायण सिंह त्यागी से बात करने इसकी सत्यता को जान सकता है। जो लोग आज हमें ये बता रहे हैं की हमारे और जितेन्द्र त्यागी के संबंधों में दरार पड़ गई है तो वो समझ ले की संबंध दो तरफ से निभाए जाते हैं, एक तरफ से नहीं। सब जानते हैं की मैं त्यागी के सम्मान के लिए एक महीने से ज्यादा की जेल काटकर आया जबकि उत्तराखंड पुलिस मुझे गिरफ्तार नहीं कर रही थी।आज त्यागी जिनके साथ है वो मीडिया मैनेज करके मेरी सारी विश्वसनीयता को समाप्त करने पर तुले हैं। जितेन्द्र त्यागी की क्या मजबूरी है, ये त्यागी जी जाने पर मैं किसी भी व्यक्ति को अपना चरित्र हनन नहीं करने दूंगा। जो जिस भाषा में समझेगा,उसे उसी भाषा के ठीक से उत्तर देने का हर संभव प्रयास करुंगा।