शिक्षित बेरोजगारों पर लाठी बरसाने के बाद सरकार ने लिया बड़ा निर्णय पर भर्तियों को लेकर सीबीआई जांच से अब भी इंकार

शिक्षित बेरोजगारों के आंदोलन की मांगों पर देर रात सरकार ने किया विचार, कुछ पर लिए अहम निर्णय
सरकार ने मांगों को लेकर अब तक की प्रगति को लेकर दी जानकारी, आंदोलन खत्म करने की अपील भी की
शिक्षित बेरोजगारों पर दर्ज मुकदमे से धारा 307 हटाने के निर्देश सरकार ने बीती रात को अफसरों को दिए

दैनिक समाचार, देहरादून: शिक्षित बेरोजगारों के आंदोलन के बीच प्रदेश सरकार ने पटवारी भर्ती पेपर लीक मामले की एसआईटी जांच हाईकोर्ट के जज की निगरानी में कराने का निर्णय लिया है। सरकार ने दूसरी ओर, राज्य में सबसे सख्त नकल विरोधी कानून लागू कर दिया है। इसमें आजीवन कारावास और दस करोड़ रुपया जुर्माना का प्रावधिान किया गया है। वहीं, सरकार ने शिक्षित बेरोजगारों पर दर्ज मुकदमे से धारा 307 हटाने के निर्देश दिए हैं।
शिक्षित बेरोजगारों के आंदोलन को लेकर राज्य में तीन दिन से तपिश है। सियासत भी चरम पर है। कांग्रेस सहित अन्य दल राज्य सरकार को घेरने में जुटी हुई है। देर रात को उत्तराखंड बेरोजगार संघ की सभी मांगों पर राज्य सरकार ने बिन्दुवार निर्णय लिया। राज्य सरकार ने राज्य सरकार पटवारी भर्ती पेपर लीक मामले की एसआईटी जांच हाई कोर्ट के जज की निगरानी में कराने का निर्णय लिया है। सरकार की ओर से सीबीआई जांच की मांग को लेकर लेकर कहा गया है कि हाई कोर्ट ने इसे पहले ही अस्वीकार कर दिया है।

हाई कोर्ट पहले ही यह कह चुकी है कि जांच सही हो रही है इसलिए प्रकरण की सीबीआई नहीं करायी गई। आंदोलनरत युवाओं की एक मांग पटवारी भर्ती में प्रश्नपत्र बदले जाने की थी। लोक सेवा आयोग पहले ही स्पष्ट कर चुका है कि 12 फरवरी को होने जा रही पटवारी परीक्षा के प्रश्न पत्र नए सिरे से तैयार किए गए हैं। इसके अलावा सख़्त नकल विरोधी अध्यादेश को मंजूरी प्रदान की जा चुकी है और राज्य लोक सेवा आयोग के परीक्षा नियंत्रक को हटा दिया गया है। सरकार ने भी कहा कि चूंकि सभी मांगों पर उचित कार्यवाही की जा रही है इसलिए अब शिक्षित बेरोजगारों को आंदोलन करने की जरूरत नहीं है।

गढ़वाल आयुक्त करेंगे लाठीचार्ज की जांच
शिक्षित बेरोजगारों पर लाठीचार्ज के मामले में सरकार की ओर से मजिस्ट्रीयल जाँच के आदेश दिए गए हैं। जांच गढ़वाल आयुक्त सुशील कुमार करेंगे। बताते चलें कि आठ फरवरी को गांधी पार्क में धरने के दौरान की घटना और नौ फरवरी को देहरादून में बेरोज़गार संघ की ओर से आयोजित धरने के दौरान हुए पथराव की वजह से क़ानून व्यवस्था की विषम परिस्थिति उत्पन्न हो गई थी। मुख्यमंत्री के निर्देश के क्रम में क़ानून व्यवस्था की उत्पन्न विषम परिस्थिति तथा पथराव एवं लाठी चार्ज की परिस्थितियों की हकीकत जानने को जांच के निर्देश दिए गए हैं।

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