



दैनिक समाचार, हरिद्वार: घर-आँगन में चहकती चिरइया गौरैया आज विलुप्त होने की दिशा की ओर खड़ी है। प्रकृति के इस अद्धभुत जीव की कम होती संख्या के पीछे का कारण मानवीय गतिविधिया है। इसलिए इस फुदकती चिरैया को संरक्षित करने को सभी सरकारों और इंसानों को केवल बातों या कागजों तक में नहीं बल्कि अपने घर, बाग, बगीचे और दिलों में जगह देनी होगी। तभी हमारी गौरैया को लेकर चलाए जा रहे अभियानों को बल मिलेगा और फिर पहले की तरह ही हमारे घर-आंगन में ये हर दिन फुदकते हुए दिखने लगेगी। उत्तराखंड के हरिद्वार, देहरादून, उत्तरकाशी, हल्द्वानी सहित अधिकांश शहरों में “विश्व स्पैरो डे” के रूप में मनाया जा रहा है। जिसमें हरिद्वार के पक्षी वैज्ञानिक, देहरादून के डब्ल्यूआईआई और वन महकमा अहम भूमिका निभा रहे हैं। वैज्ञानिकों के एक आंकड़े के मुताबिक 60 प्रतिशत तक गौरैया की तादाद में कमी आई है लेकिन कुछ वर्षों से सकारात्मक सोच और गौरैया के प्रति जागरूकता अभियान ने कुछ जगहों पर गौरैया की वापसी भी कराई है।
आमतौर पर गली मौहल्लों में आसानी से दिखाई देने वाली गौरैया, पिछले कुछ वर्षों में विलुप्त सी हो गई है। गौरैया मनुष्य के आसपास ही रहना पसंद करती है| वर्तमान समय में शहरी इलाकों का कंक्रीट के जंगल और गांवों का शहरीकरण में तेजी से तब्दील होना, प्रदूषण और विकिरण से शहरों का बढ़ता तापमान तेजी से गौरैया का आवास ख़त्म कर रहे हैं। इसके साथ ही डीडीटी और अन्य कीटनाशकों का प्रयोग भी इन पक्षियों के लिए नुकसानदायक है। इससे इनकी प्रजनन क्षमता बहुत कम हो जाती है। गौरैया को वर्ष 2012 में दिल्ली की राजकीय पक्षी के रूप में अपनाया गया है जबकि बिहार ने भी इसे यही दर्जा दिया है। हाउस स्पैरो यानि गौरैया शहरों, खेतों, कस्बों और खेतों के आसपास के जलवायु में रहना पसंद करती है। गौरैया पक्षी पारिस्थितिक तंत्र के एक हिस्से के रूप में हमारे पर्यावरण को बेहतर बनाने की दिशा में अपना महत्वपूर्ण योगदान देती है। गौरैया अल्फा और कटवर्म नामक कीड़े खाती है, जो फसलों के लिए बेहद हानिकारक होते हैं। इसके साथ-साथ गौरेया बाजरा, धान, चावल के दाने भी खाती है।

आई लव स्पैरो के साथ आज मनाया जा रहा है विश्व गौरैया दिवस
वर्ल्ड स्पैरो डे यानि विश्व गौरैया दिवस (House Sparrow Day) प्रत्येक वर्ष 20 मार्च को मनाया जाता है। यह इको-सिस एक्शन फाउंडेशन (फ्रांस) और दुनिया भर के कई राष्ट्रीय और अंतराष्ट्रीय संगठनों के सहयोग से नेचर फॉर एवर सोसाइटी ऑफ़ इंडिया की ओर से एक अंतराष्ट्रीय पहल है। द नेचर फॉर एवर सोसाइटी की शुरुआत भारतीय सरंक्षणवादी मोहम्मद दिलावर ने की थी जिन्होंने नासिक में हाउस स्पैरो की मदद के लिए काम शुरू किया था और विश्व का पहला वर्ल्ड स्पैरो डे वर्ष 2010 में मनाया गया। 2023 का गौरैया संरक्षण का थीम आई लव स्पैरो रखा गया है।

सैल्यूट है गौरैया संरक्षण की मुहिम में इन दोनों वैज्ञानिकों को
हरिद्वार में अंतराष्ट्रीय पक्षी वैज्ञानिक प्रोफेसर दिनेश भट्टऔर वरिष्ठ पक्षी वैज्ञानिक डॉ विनय सेठी की सालों से गौरैया संरक्षण की मुहिम रंग ला रही है। जन सहभागिता के जरिए गौरैया को वापस अपने आंगन में लाने में कामयाबी मिली है। दोनों पक्षी वैज्ञानिकों ने इसे लेकर आमजन ही नहीं सरकारी महकमे और स्कूलों में जबरदस्त अभियान चलाया और उन्हें जागरूक किया। गौरैया को अपने घर आंगन में वापस लाने के लिए जहां तौर-तरीके बताए तो वहीं अपनी ओर से अब तक सैकड़ों की तादाद में गौरैया के लिए बनाए गए कृत्रिम घोसलों को बांटा। जिसमें कई जगहों पर गौरैया ने अपना घर बनना शुरु कर दिया है। बल्कि दोनों वैज्ञानिकों ने न केवल हरिद्वार बल्कि उत्तराखंड के कई जिलों और उत्तरप्रदेश के पड़ोसी जनपद सहारनपुर, बिजनौर के अलावा हरियाणा और पंजाब आदि में भी गौरैया संरक्षण को लेकर लोगों को जागरूक करने के साथ ही उन्हें कृत्रिम घोसला भी मुहैया कराया है।