वन्य जीवों के खून से अब ‘लाल’ नहीं होगी रेल की पटरी

हरिद्वार-देहरादून रेलवे ट्रैक पर अब नहीं जाएगी गजराजों की जान
राजाजी टाइगर रिजर्व और मुरादाबाद मंडल के रेल अफसरों ने किया सर्वे
मोतीचूर से कांसरों रेंज के बीच 16 किलोमीटर एरिया में लगेगा चैनल फेंसिंग
बाघ, गुलदार सहित छोटे वन्य जीवों को बचाने में भी बेहद अहम कदम
राजाजी रिजर्व के अस्तित्व में आने के बाद 29 गजराजों की हो चुकी है मौत

BY NAVEEN PANDEY

दैनिक समाचार, देहरादून: रेलवे ट्रैक पर आने से वन्य जीवों को रोकने को लेकर बड़ी कवायद की जा रही है। राजाजी टाइगर रिजर्व और रेलवे की ओर से संयुक्त टीम के सर्वे में यह निर्णय लिया गया है कि हरिद्वार से देहरादून जाने वाली रेल पटरी से लगते टाइगर रिजर्व के कुल 16 किलो मीटर वन क्षेत्र में मजबूत चैनल फेंसिंग लगाई जाएगी। जिससे वन्य जीवों का मूवमेंट रेल की पटरी की ओर नहीं हो सकेगा। टाइगर रिजर्व की ओर से रिपोर्ट शासन को जबकि रेलवे की ओर से रिपोर्ट मुरादाबाद मंडल के डीआरएम को सौंपी जाएगी।
बताते चलें कि हरिद्वार से देहरादून के बीच गुजरने वाली रेल पटरी वन्य जीवों के लिहाज से अति संवेदनशील जंगल से होकर गुजरती है। हरिद्वार से निकलने के तुरंत बाद राजाजी टाइगर रिजर्व का मोतीचूर और कांसरो रेंज वन्य जीव बाहुल्य क्षेत्र है। बाघ, हाथी, तेंदुआ सहित कई वन्य जीवों का मूवमेंट इन जंगलों से निकलकर मोतीचूर और कांसरो के बीच से गुजर रही पटरियों पर होता है। जिसमें करीब दस किमी क्षेत्र बेहद संवेदनशील है। वन्य जीवों का ये परंपरागत गलियारा भी है। ऐसे में स्वच्छंद आवाजाही में रेल ट्रैक सबसे बड़ी बाधा है और इसी रेलवे ट्रैक पर जब से राजाजी टाइगर रिर्जव अस्तित्व में आया है, तब से लेकर अब तक 29 गजराजों की ट्रेन से टकराकर मौत हो चुकी है जबकि छोटे वन्य जीवों की रेल पटरियों पर मौत को तो वन विभाग अक्सर छिपा जाता है। इसलिए वन विभाग और रेलवे के बीच कुल 16 किलोमीटर राजाजी टाइगर रिजर्व से लगते रेलवे ट्रैक को चैनल फेंसिंग से कवर करने पर सैद्धांंतिक सहमति बनी है। राजाजी टाइगर रिजर्व और रेलवे के अफसरों की ओर से हरिद्वार रेल पथ पर सर्वे पहले ही किया जा चुका है। अब मोतीचूर रेंज से कांसरो के बीच सर्वे करके रिपोर्ट रेलवे अपने अधिकारियों को सौंपेगा जबकि राजाजी की ओर से शासन को ये रिपोर्ट भेजी जाएगी।

ट्रेन से निकले कूड़े को खाने रेल पटरी पर आते हैं वन्य जीव
सर्वे के दौरान ये देखने को मिला कि रेलगाड़ी सहित आबादी की ओर से एकत्रित कूड़ा और खाद्य पदार्थों को फेंका जाता है। टाइगर रिजर्व की टीम जन जागरूकता अभियान भी चलाती है लेकिन वह बहुत कारगर साबित नहीं पाई।

मजबूत होगी चैनल फेंसिंग, नहीं तोड़ पाएगा बलशाली गजराज
राजाजी टाइगर रिजर्व अंतर्गत 16 किलोमीटर चैनल फेंसिंग को बेहद मजबूत बनाया जाएगा क्योंकि इस एरिया में गजराजों का काफी मूवमेंट है। वे सामान्य फेंसिंग को एक झटके में तोड़ देते हैं। इसलिए योजना के मुताबिक रेलवे की ओर से ट्रैक के किनारे छह फीट ऊंची मजबूत चैनल फेंसिंग लगाई जाएगी, जिसे हाथी ना तो पार कर सकेंगे और ना ही तोड़ पाएंगे। यह ठीक उसी तरह होगा जैसे हम अपने घरों में मुख्य गेट पर चैनल का गेट लगाते हैं। मोतीचूर रेंजर आलोकी ने बताया कि रेलवे ट्रैक पर वन्यजीवों की मौत को रोकने में यह बेहद कारगर साबित होगा। चैनल फेंसिंग होने से से वैदिक नगर गांव की तरफ से गुलदार सहित अन्य वन्य जीवों की आवाजाही भी रुकेगी।

चार साल पहले तीन हाथियों की हो चुकी है ट्रेन से टक्कर
2018 में 17 फरवरी को एक गज शिशु और 20 मार्च को मादा हाथी की मौत हो गई जबकि 09 मार्च को रायवाला में एक हाथी जख्मी हो गया। जबकि इससे पहले 15 अक्टूबर 2016 को रायवाला ही में ट्रेन से टकराकर एक मादा की मौत हो गई थी।

वन्य जीवों और रेल यात्रियों दोनों की सुरक्षा के लिहाज से बेहद अहम कदम है। रेलवे की ओर से सकारात्मक पहल के बाद सर्वे हुआ है। उम्मीद करते हैं कि जल्द से जल्द फेंसिंग का काम शुरू होगा और वन्य जीवों की रेलवे ट्रैक पर होने वाले हादसों में काफी हद तक कमी आएगी। डा. साकेत बडोला, निदेशक, राजाजी टाइगर रिजर्व

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