गुरुओं को हुआ ‘तनाव’ कैसे करें 5.45 पैसे में दाल और सब्जी का ‘इंतजाम’, अफसरों के फरमान से हलकान है प्राथमिक का ‘प्रधान’

मिड-डे-मील में सब्जी की अनिवार्यता के साथ अपर्याप्त कुकिंग कॉस्ट से बढ़ी नाराजगी

BY NAVEEN PANDEY

दैनिक समाचार, देहरादून/हरिद्वार: प्रधानमंत्री पोषण योजना के तहत प्राथमिक विद्यालयों को मिल रहा अपर्याप्त कुकिंग कॉस्ट गुरुओं के लिए ‘गले की हड्डी बनती जा रही है। प्रधानाचार्यों को यह समझ नहीं आ रहा है कि महंगाई के इस दौरान में आखिर किस तरह से 5.45 पैसे प्रति विद्यार्थी की कुकिंग कॉस्ट में दाल और सब्जी को मानकों के अनुरूप तैयार किया जाए। अब ‘गुरुओं’ को यह अपर्याप्त कुकिंग कॉस्ट ‘तनाव’ देने लगा है। फिलवक्त तक काम चला रहे गुरुओं की पीड़ा सुनकर शिक्षक संघ ने भी अब बड़े आंदोलन की ओर इशारा कर दिया है।
मध्याहृन भोजन योजना के तहत अक्तूबर 2022 से पहले दी जाने वाली कुकिंग कॉस्ट भी पर्याप्त नहीं थी लेकिन शिक्षक जैसे-तैसे मिड-डे-मील को सुचारु करा रहे थे कि इसी बीच अक्तूबर 2022 के बाद से स्कूलों में प्रति विद्यार्थी सब्जी अनिर्वाय कर दी गई। गजब तो यह हो गया कि बिना मूल्यांकन किए शिक्षा विभाग के आला अधिकारियों ने स्कूल के प्रधानाचार्य, प्रभारी प्रधानाचार्य या मिड-डे-मील प्रभारी पर सब्जी नहीं बनने की स्थिति में सख्त कार्रवाई के आदेश तक जारी कर दिए। हालांकि अक्तूबर के बाद पोषण योजना में कुकिंग कॉस्ट बढ़ाई गई लेकिन जिस तेजी से महंगाई बढ़ी है उस मुताबिक कुकिंग कॉस्ट आधी भी नहीं है। जाहिर है इसे लेकर शिक्षक बेहद परेशान हैं। ऐसा नहीं है कि शिक्षा विभाग के अफसरों को यह जानकारी नहीं है लेकिन इस ओर गौर करने और शिक्षक संघ में आपसी फूट का भी विभाग खूब फायदा उठा रहा है। अन्यथा आज महंगाई के दौर में प्रति बच्चा दाल और सब्जी जिसमें सभी ईंधन कॉस्ट आदि भी शामिल है में 5.45 पैसे में प्रति बच्चा गुणवत्ता पूर्ण भोजन कराना कैसे संभव है।

सब्जी नहीं बनने पर प्रधानाचार्य पर कार्यवाही की तलवार 

अक्तूबर 2022 से पहले प्रति बच्चा कुकिंग कॉस्ट 4.97 पैसे मिलता था पर स्कूलों में बच्चों को सब्जी खिलाना अनिवार्य नहीं था। इसके बाद कुकिंग कॉस्ट में मामूली इजाफा करते हुए इसे 5.45 पैसे प्रति विद्यार्थी कर दिया गया और मामूली से बढ़े कुकिंग कॉस्ट में अब हर स्कूल को प्रति बच्चा सब्जी खिलाना भी अनिवार्य कर दिया गया। ये भी साथ जोड़ा कि ऐसा नहीं करने वाले स्कूलों के संबंधित प्रधानाचार्य, प्रभारी प्रधानाचार्य या फिर मिड-डे-मील प्रभारी की जिम्मेदारी तय होगी।

कुकिंग कॉस्ट में क्या-क्या है शामिल जानकर हो जाएंगे चकित
प्रति स्कूल को विद्यार्थियों की तादाद के अनुसार कोटे से चावल मिलता है। जिसका भुगतान विभाग खुद कोटेदार को करता है। लेकिन दाल और सब्जी की कुकिंग कॉस्ट विभाग स्कूल को देता है। जो फिलहाल 5.45 पैसे प्रति बच्चा मिल रहा है। लेकिन जानकार हैरान हो जाएंगे कि प्रति बच्चा महंगाई के इस दौर में दाल और सब्जी के लिए मिल रहे प्रति बच्चा 5.45 पैसे मेें ईंधन, ईंधन की ढुलाई, दाल और सब्जी में पड़ने वाली सभी सामग्री की कॉस्ट भी शामिल है। अब ऐसे में ये कैसे संभव है कि दाल और सब्जी की कुकिंग कॉस्ट 5.45 पैसे में मानकर अनुसार प्रति विद्यार्थियों को मिड-डे-मील तैयार हो सके।

कुकिंग कॉस्ट दस रुपये  मिले तब  बन सकती है सब्जी 

शिक्षक संघों की मानें तो अपर्याप्त कुकिंग कॉस्ट को लेकर उनमें गहरी नाराजगी है। वे शिक्षा विभाग के अधिकारियों से सवाल पूछते हैं कि वे ही बताएं कि स्कूलों के लिए मिल रहे 5.45 पैसे प्रति विद्यार्थी कुकिंग कॉस्ट में दाल और सब्जी के अलावा तैयार किए जाने वाली मसाले विगत दिनों जिस रेट पर मिलते थे, उन सबमें दोगुना के करीब उछाल आया है। ऐसे में शिक्षक संघों और शिक्षकों का मानना है कि इस कॉस्ट को प्रति विद्यार्थी दाल और सब्जी के लिए दस रुपया किया जाए तब तक स्थिति कुछ सुधरेगी।

अफसरों ने यदि की कार्यवाही तो होगा बड़ा आंदोलन
उत्तराखंड राज्य प्राथमिक शिक्षक संघ रुड़की ने उप शिक्षा अधिकारी रुड़की को पीएम पोषण योजना को लेकर ज्ञापन सौंपा है। संघ की ओर कहा गया है कि पीएम पोषण योजना के अंतर्गत प्राप्त हो रही कुकिंग कॉस्ट धनराशि बेहद कम है। शासन और विभाग चाहता है कि इस धनराशि में विद्यालयों में पढ़ रहे सभी बच्चों को निर्धारित मानक अनुसार पौष्टिक भोजन मिले जबकि इस न्यूनतम धनराशि में दाल और सब्जी को किसी सूरत में मानक अनुसार नहीं बनाया जा सकता है। संघ ने इस बात पर भी चिंता जताई है कि अफसर आए दिन मिड-डे-मील के तहत सब्जी नहीं बनाने पर प्रधानाचार्य पर विभागीय कार्यवाही करते है। जो अब कतई बर्दाश्त नहीं की जाएगी। विभागीय अफसरों को संघ ने चेताया कि यदि शिक्षकों के साथ इस तरह की कोई कार्यवाही की गई तो समस्त प्रधानाध्यापक प्राथमिक शिक्षक संघ के बैनर तले पीएम पोषण योजना का विरोध करेंगे और ऐसे में योजना बाधित होती है तो इसकी समस्त जिम्मेदारी शिक्षा विभाग के अधिकारियों और शासन की होगी।

यह भी दिया गया शिक्षक संघ और प्रधानाचार्यों की ओर से सुझाव
उत्तराखंड राज्य प्राथमिक शिक्षक संघ रुड़की ब्लाक के अध्यक्ष मनमोहन शर्मा, ब्लाक मंत्री पंकज विश्नोई, महिपाल सैनी, प्रदीप चांदना, सुनीता रानी, गीता राणा, वंदना चांदना, शाइस्ता परवीन, कल्पना भारद्वाज, मंजू रानी, अलका गर्ग, मिमित शर्मा, अकमल सहित कई प्रधानाचार्यों ने सुझाव दिया कि बेहतर यही होगा कि विभाग किसी एनजीओ के माध्यम से पीएम पोषण योजना का संचालन करे।

संघ और प्रधानाचार्यों ने कहा पहले वास्तविक जानकारी लें अफसर
शिक्षक संघ और प्रधानाचार्यों में इस कदर नाराजगी है कि उनका कहना है कि यदि उनका तथ्य किसी भी रुप में गलत है तो विभागीय अधिकारी जिस तरह से विद्यालयों का निरीक्षण करते हैं, उसी तरह से फील्ड में निकले और फिलहाल मिल रहे कुकिंग कॉस्ट में दाल और सब्जी मानक अनुसार बनाकर दिखाएं। शिक्षक बहुत दिन तक यह बर्दाश्त नहीं करने वाले हैं।

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