



-मुख्य शिक्षा अधिकारी और मुख्य प्रशासनिक अधिकारी बैक डेट में कर रहे थे अध्यापकों का समायोजन
-अशासकीय विद्यालयों में नियुक्ति पत्र भी रविवार और आचार संहिता लगने के बाद किया जा रहा था तैयार
-डीएम ने दोनों अधिकारियों को सस्पेंड करने की संस्तुति की, विभाग में मचा हुआ है जबरदस्त हड़कंप
दैनिक समाचार, हरिद्वार

प्रदेश में आदर्श आचार संहिता प्रभावी होने के बाद भी छुट्टी के दिन रविवार को दफ्तर खोल कर बैक डेट में अध्यापकों के समायोजन और अशासकीय विद्यालयों में नियुक्ति पत्र तैयार करने के मामले में जिलाधिकारी विनय शंकर पांडे ने मुख्य शिक्षा अधिकारी विद्याशंकर चतुर्वेदी व मुख्य प्रशासनिक अधिकारी जोगेंद्र सिंह राणा के खिलाफ सस्पेंड करने की संस्तुति की कार्रवाई की है। जिला अधिकारी विनय शंकर पांडे ने बताया कि दौलतपुर विद्यालय में आचार संहिता के बावजूद नियम विरुद्ध कार्य की शिकायत मिली थी। मौके पर प्रशासनिक अधिकारी मौजूद मिले तथा नियुक्ति पत्र बनाये जा रहे थे। सीईओ की संलिप्तता की जांच कराई गई जिसमें प्रथम दृष्टया उनकी भूमिका संदिग्ध पाई गई। आचार संहिता के बाद भी समायोजन और नियुक्ति कार्य करना बहुत ही गंभीर विषय है। इसलिए दोनों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए शिक्षा सचिव और निदेशक को सस्पेंड करने के साथ ही कठोर कार्रवाई करने के लिए पत्र भेज दिया गया है। बताते चलें कि जिला में तबादलों का खेल बैक डोर से खूब किया जा रहा है। प्रदेश स्तर पर भी शिक्षा विभाग की ओर से तबादले को लेकर सवाल उठते रहे हैं। अभी हाल ही में चुनाव आयोग ने 58 साल से अधिक आयु के शिक्षा अधिकारियों को एआरओ की डयूटी नहीं लगाने के निर्देश दिए थे लेकिन शिक्षा विभाग ने इस आदेश को दर किनारे कर दिया। हाल ही में उप शिक्षा अधिकारियों के तबादले में कई लोग तो अब भी अपने गृह जनपद में जमे हुए हैं। जिसमें हरिद्वार प्रमुख रूप से शामिल है। एक उप शिक्षा अधिकारी तो गृह जनपद और पांच साल मानक दोनों का लाभ ले रहा है लेकिन उनका तबादला नहीं हुआ। शिक्षा विभाग के आला अधिकारियों के तबादला नीति पर बड़ा सवाल उठता है जबकि दूसरे अधिकारियों का जबरिया तबादला कर दिया जा रहा है। पांच साल से अधिक समय से तैनात अधिकारियों के चुनाव आयोग के आदेश के मानकों के साथ प्रदेश के शिक्षा अधिकारी अपने मनमानी तरीके से ‘तबादला उद्योग’ चला रहे हैं। चुनाव आयोग इस बात का संज्ञान ले तो शिक्षा विभाग में तबादले के बड़े खेल का खुलासा हो सकता है और कई बड़े शिक्षा अधिकारियों की गर्दन भी फंस सकती है।