



तो क्या देवभूमि में ‘चुनावी मिथक’ तोड़ पाएंगे ‘दिग्गज
मुख्य मुकाबला बीजेपी और कांग्रेस के बीच ही सिमटा
लेकिन कई जगह कुछ हैरान करने वाले होंगे परिणाम
वोटिंग के बढ़े प्रतिशत ने दिए हैं बदलाव के संकेत
नवीन पाण्डेय, देहरादून/हरिद्वार: उत्तराखंड के मतदाताओं ने शाम छह बजे तक सूबे की राजनीति में दिग्गज माने जाने वाले प्रत्याशियों की किस्मत को ईवीएम में कैद कर दिया है। फिलहाल जो वोटिंग का मिजाज देखा गया, वह यह संकेत दे रहा है कि 2017 के चुनावी परिणाम से कहीं जुदा 2022 के परिणाम होंगे। सियासत के जानकार बताते हैं कि परिणाम दस मार्च को आएगा तभी तस्वीर साफ होगी लेकिन अबकी वोटिंग के प्रतिशत ने कई बदलाव के संकेत दिए हैं। जिसमें कई नए मिथक बनेंगे तो कुछ के टूटने की भी संभावना है।

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मुख्य मुकाबला तो बीजेपी और कांग्रेस के बीच ही सिमटता दिख रहा है लेकिन बागी बने या नई पार्टी बनाकर मैदान में ‘खम’ ठोंकने वाले कुछ हैरान करने वाले परिणाम दे सकते हैं।
सीएम पुष्कर सिंह धामी अपनी परंपरागत सीट खटीमा से चुनाव लड़ रहे हैं। सीएम को लेकर उत्तराखंड में मिथ है। जिसे वे तोड़ पाते हैं या नहीं ये देखना दिलचस्प होगा। पूर्व सीएम हरीश रावत रामनगर से चुनाव की तैयार कर रहे थे लेकिन गतिरोध के बीच उन्हें लालकुंआ भेज दिया गया चूंकि वे कांग्रेस चुनाव अभियान समिति के अध्यक्ष भी हैं इसलिए उनकी जीत-हार को लेकर सियासी आंकलन किया जा रहा है।

शिक्षा मंत्री को लेकर उत्तराखंड में बड़ा मिथक है। अरविंद पांडे चुनावी मैदान में हैं। शिक्षा मंत्री के तौर पर वे जीत का मिथक तोड़ पाते हैं या नहीं यह बड़ा दिलचस्प् होगा। कर्नल अजय कोठियाल (रि) आप के तौर पर मुख्यमंत्री का चेहरा हैं। तीसरे विकल्प के रूप में वे और आप क्या कर पाती है यह रिजल्ट आने के बाद ही पता चल पाएगा। फिलहाल कोठियाल गंगोत्री सीट से चुनाव लड़ रहे है और सरकार बनने या नहीं बनने का मिथक इस सीट से भी जुड़ा हुआ है।