जमीयत उलमा-ए-हिंद को आतंकी संगठन घोषित करने की धर्म संसद वाले महामंडलेश्वर यति नरसिंहानंद ने उठाई मांग, जमीयत पर लगाए सनसनीखेज आरोप

रुद्र मीडिया नेटवर्क ग्रुप के दैनिक समाचार ने सबसे पहले शुक्रवार को जमीय उलमा-ए-हिंद के राष्ट्रीय अध्यक्ष का बयान किया था प्रकाशित

दैनिक समाचार, हरिद्वार: जितेंद्र नारायण सिंह त्यागी की रिहाई के इंतजार में सर्वानंद घाट पर बैठे जूना अखाड़ा के महामंडलेश्वर यति नरसिंहानंद गिरी और स्वामी अमृतानंद महाराज ने बड़ा बयान जमीयत को लेकर बड़ा बयान दिया है। अहमदाबाद बम कांड के 38 दोषियों को मृत्युदंड और 11 को आजीवन कारावास की सजा पर संतोष व्यक्त करते हुए न्यायाधीश को साहस और कर्तव्यनिष्ठा के लिये साधुवाद दिया तो वहीं इस निर्णय के खिलाफ हाईकोर्ट जाने की बात कहने वाले उलमा-ए-हिंद के राष्ट्रीय अध्यक्ष मसूद मदनी और जमीयत उलमा-ए-हिंद को आतंकी संगठन घोषित करने की मांग की है।

उलमा-ए-हिंद के राष्ट्रीय अध्यक्ष मसूद मदनी के बयान को रुद्र मीडिया नेटवर्क ग्रुप के दैनिक समाचार ने प्रमुखता से शुक्रवार को प्रकाशित किया था। जिस पर हरिद्वार में सर्वानंद घाट पर जितेन्द्र नारायण सिंह उर्फ वसीम रिजवी की रिहाई की मांग को लेकर तप कर रहे महामंडलेश्वर यति नसिंहानंद गिरी सहित संतों ने उलमा-ए-हिंद पर जुबानी हमला किया है। महामंडलेश्वर यति नसिंहानंद का कहना है कि अहमदाबाद बम ब्लास्ट के दोषियों के मुकदमे लड़ने की जमीयत उलमा-ए-हिंद के मौलानाओं की घोषणा पर कड़ा एतराज जताया है। कहा कि भारत सरकार को जमीयत उलमा-ए-हिन्द को आतंकवादी संगठन घोषित करके इसके कर्ताधर्ताओ को जेल भेजना चाहिये। जमीयत उलमा-ए-हिन्द पूरे दुनिया के सबसे बड़े मुस्लिम धर्मगुरुओं का संगठन है। यह संगठन भारत में आतंकवादी घटना करने वाले हर जिहादी का मुकदमा लड़ता है। अमर बलिदानी मेजर आशाराम त्यागी सेवा संस्थान के अध्यक्ष नीरज त्यागी, महामंत्री अक्षय त्यागी, कार्यवाहक अध्यक्ष मुकेश त्यागी, उपाध्यक्ष संजय त्यागी, नरेंद्र त्यागी ने अपने कार्यकर्ताओं के साथ महामंडलेश्वर यति नरसिंहानंद गिरी व जितेंद्र नारायण सिंह त्यागी का समर्थन किया।

हिंदू धर्मगुरुओं को भी लिया आड़े हाथों
महामंडलेश्वर यति नरसिंहानंद ने हिन्दू समाज के धर्मगुरुओं से जमीयत से कुछ शिक्षा लेने की बात कही है। कहा कि एक ओर इस्लामिक धर्मगुरु हैं जो हत्यारों की पैरवी भी खुल कर करते हैं और दूसरी ओर हमारे धर्मगुरु हैं जो कभी भी संघर्ष करने वाले हिन्दुओं की कोई सहायता नहीं करते। आज हिन्दुओं के बड़े-बड़े धर्मगुरु अपने मंचों पर जमीयत उलमा-ए-हिन्द के मौलानाओं को बुलाकर स्वयं को गौरवान्वित महसूस करते हैं। उन्होंने हिन्दू समाज से ऐसे धर्मगुरुओं का बहिष्कार करने का आह्वान किया।

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