यति नरसिंहानंद का धर्माचार्यों पर करारा प्रहार, बोले तथाकथित धर्माचार्य मुझसे शास्त्रार्थ करें, पराजित हुआ तो गंगा में जल समाधि ले लूंगा

गंगाजल हाथ में लेकर यति नसिंहानंद और स्वामी अमृतानंद ने लिया संकल्प
धर्म संसद को लेकर अनर्गल बयान देने वाले संतों को लिया आड़े हाथों
कई संत राजनैतिक दलों से हैं जुड़े, उन्हें धर्म में कोई निष्ठा नहीं
तथाकथित धर्मगुरुओं की वजह से ही सनातन धर्म का अस्तित्व खतरे में

दैनिक समाचार, हरिद्वार: धर्म संसद में हेट स्पीच देने वाले जूना अखाड़े के महामंडलेश्वर यति नरसिंहानंद गिरी व स्वामी अमृतानंद ने अपने विरोधी धर्माचार्यों को शास्त्रार्थ की चुनौती दी है। ये तक कहा ​कि यदि वे शास्त्रार्थ में पराजित होते हैं तो जीवित ही जल समाधि ले लेंगे। उन्होंने गंगाजल हाथ में लेकर ये संकल्प और एलान किया।
सर्वानन्द घाट पर जितेंद्र नारायण सिंह त्यागी उर्फ वसीम रिजवी की रिहाई के लिये तप कर रहे महामंडलेश्वर यति नरसिंहानंद गिरी और स्वामी अमृतानंद धर्म संसद की आलोचना करने वाले तथाकथित संतों को गंगाजल हाथ में लेकर संकल्प लिया और शास्त्रार्थ की चुनौती दी है।

अपने संकल्प के विषय में महामंडलेश्वर यति नरसिंहानंद गिरी महाराज ने बताया कि धर्म संसद को लेकर सनातन के कुछ संत अनर्गल प्रलाप कर रहे हैं। ऐसे संत किसी न किसी राजनैतिक दल से जुड़े हुए हैं और उनकी निष्ठा धर्म के नहीं बल्कि अपने राजनैतिक आकाओं के साथ है।हमें मर्यादाओं का पाठ पढ़ाने वाले आज कहाँ मुँह छिपाकर बैठे हैं। जब मुस्लिम मौलानाओं का विश्व का सबसे बड़ा संगठन जमीय उलमा-ए-हिन्द खुलकर बम विस्फोट से निर्दोष हिन्दुओं की हत्या करने वाले जिहादियों के पक्ष में खुलकर खड़ा हो गया है। हरिद्वार नगर में बड़े-बड़े तथाकथित धर्मगुरुओं ने जमीयत उलमा-ए-हिन्द के मौलानाओं को अपने मंचों पर बुलाकर महामंडित किया है। ऐसे ही तथाकथित धर्मगुरुओं के कारण आज सनातन धर्म का सम्पूर्ण अस्तित्व खतरे में पड़ चुका है। इन तथाकथित धर्मगुरुओं के ये कार्य धर्म और शास्त्र के सर्वदा विरुद्ध हैं।ऐसे ही लोग हमारे विषय मे दुष्प्रचार करके शत्रुओं के हाथ का खिलौना बने हुए हैं।

उन्होंने कहा कि ऐसे लोगों को हम दोनों सन्यासी रामायण, श्रीमद्भागवत, श्रीमद्भगवद गीता,कुरान और इस्लामिक इतिहास के आधार पर शास्त्रार्थ की चुनौती देते हैं। उन्होंने कहा कि हम जो कर रहें हैं ये ही धर्म का सबसे आवश्यक कार्य है। यदि हम धर्म पर आए हुए इतने विकट संकट को देखकर भी अनदेखा करते हैं तो यह धर्म के साथ विश्वासघात है।अपने आप को धार्मिक समझने वाले प्रत्येक सनातनी को इस समय अपने व्यक्तिगत, सम्प्रदायगत, जातिगत व संस्थागत अहंकारों और स्वार्थों को छोड़कर धर्म की रक्षा के लिये खड़ा होना चाहिये।जो ऐसा नहीं करता,वह स्वयं को धार्मिक कहलाने का अधिकारी नहीं है। आज इसी सिद्धांत पर शास्त्रार्थ के लिये हम दोनों अपने सभी विरोधियों को चुनौती दे रहे हैं। यह शास्त्रार्थ हरिद्वार में माँ गंगा के तट पर होगा। जिसमें यदि हम दोनों पराजित होते हैं तो माँ गंगा की गोद मे जलसमाधि ले लेंगे। उन्होंने बताया कि इस शास्त्रार्थ का प्रसारण पूरी दुनिया मे होगा और हिन्दू समाज ही इसमें हार जीत का निर्णय करेगा। महामंडलेश्वर यति नरसिंहानंद गिरी महाराज व स्वामी अमृतानंद महाराज के संकल्प लेते समय स्वामी शैव शून्य, विक्रम सिंह यादव, सनोज शास्त्री, डॉ अरविंद वत्स अकेला, डीके शर्मा सहित अनेक भक्त उपस्थित थे।

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