हेट स्पीच वाले महामंडलेश्वर यति न​रसिंहानंद फिर करने जा रहे धर्मनगरी में धर्म संसद, इतिहास के सबसे विशाल धर्म संसद का दावा, जगदगुरु और अखाड़ों को करेंगे आमंत्रित

शंकराचार्य जयंती पर एक बार फिर हरिद्वार में धर्म संसद का एलान
यति नरसिंहानंद ने शुरू की तैयारी, तथाकथित संतों पर किया प्रहार
हिमाचल प्रदेश धर्म संसद के मुख्य आयोजक समर्थन देने पहुंचे

दैनिक समाचार, हरिद्वार: धर्म संसद में हेट स्पीच देने वाले महामंडलेश्वर यति नरसिंहानंद गिरी शंकराचार्य जयंती पर एक बार फिर हरिद्वार में सनातन के इतिहास का सबसे विशाल धर्म संसद
का आयोजन करने जा रहे हैं। दावा किया कि यह इतिहास का सबसे विशाल धर्म संसद होगा। जिसमें मुख्य मुदृदा यह रहेगा कि धर्माचार्य यह तय करके बताएंगे कि धर्म की रक्षा करना उनका उत्तरदायित्व है या नहीं।
जितेंद्र नारायण सिंह त्यागी उर्फ वसीम रिजवी की रिहाई की प्रतीक्षा में सर्वानंद घाट पर बैठे महामंडलेश्वर यति नरसिंहानंद गिरी और स्वामी अमृतानंद ने मुस्लिम धर्मगुरुओं के विश्व के सबसे बड़े संगठन जमीयत उलमा-ए-हिन्द के आतंकवादियों का मुकदमा लड़ने की बात को दुनिया के हर व्यक्ति तक पहुँचाने का निर्णय लिया है। उन्होंने अपने साथियों से परामर्श करके इस बार की शंकराचार्य जयंती पर हरिद्वार में सनातन के इतिहास का सबसे बड़ा धर्मसंसद आयोजित करने का निर्णय लिया। हिमाचल प्रदेश धर्म संसद के मुख्य आयोजक योगी ज्ञाननाथ व यति सत्यदेवानंद भी जितेंद्र नारायण सिंह त्यागी जी की प्रतीक्षा में सर्वानन्द घाट पर आकर डट गए हैं।

संतों की समाज की रक्षा में कोई भूमिका है भी या नहीं
आदिगुरु शंकराचार्य की जयंती पर आयोजित होने वाली धर्म संसद के विषय में महामंडलेश्वर यति नरसिंहानंद गिरी ने बताया कि आज हिन्दू समाज में सबसे बड़ा संशय इस बात को लेकर है कि संतों की समाज की रक्षा में कोई भूमिका है भी या नहीं। इस देश में यदि मुसलमानों के साथ अगर कुछ गलत होता है तो उनके मौलाना मस्जिदों और मदरसों से उनके लिये लड़ाई लड़ते हैं। ईसाईयो के साथ कुछ होता है तो उनके पादरी चर्चों से उनके लिये लड़ते हैं। सिखों के साथ कुछ होता है तो उनके ग्रन्थी गुरुद्वारों से उनके लिये लड़ते हैं। बौद्धों के अस्तित्व की लड़ाई उनके मठों से बौद्ध भिक्षु लड़ते हैं। परंतु हिन्दुओं पर चाहे कितना ही अत्याचार क्यों ना हो, उनका कोई धर्मगुरु उनका साथ नहीं देता और ना ही उनके लिये कोई आवाज उठाता है। ऐसे में हिन्दू जाए तो जाए कहाँ?

हरिद्वार में पूर्व में आयोजित धर्म संसद की तस्वीर। फोटो फाइल

संतों की बेरुखी से हिंदू समाज हो रह है दिशाहीन
उन्होंने यह भी कहा कि सभी जानते हैं कि भारत में जितनी भी आतंकवादी घटना होती हैं, उसके शामिल सभी आतंकवादियों के मुकदमे जमीय उलमा-ए-हिन्द लड़ती है। फिर भी धर्मनिरपेक्षता के नाम पर बहुत सारे तथाकथित सनातन के धर्मगुरु उनको अपने मंचों पर बुलाकर सनातन धर्म और हिन्दुओं के साथ विश्वासघात करते हैं। ये लोग हिन्दुओं के पक्ष में उठने वाली हर आवाज को अधार्मिक बता कर दबा देते हैं। ऐसे में हिन्दू समाज दिशा विहीन होकर कभी भी हिन्दुओं पर हो रहे अत्याचारों का विरोध नहीं कर पा रहा है और धीरे-धीरे सर्वनाश की ओर बढ़ रहा है। सनातन के महाविनाश के इन क्षणों में आज हिन्दुओं का यह संशय दूर होना ही चाहिये।इस बार का धर्म संसद इसी विषय को लेकर आयोजित किया जाएगा। जिसमें सनातन सभी जगदगुरुओं, तेरह अखाड़ों के प्रमुखों सहित सनातन के प्रमुख धर्मगुरुओं को निमंत्रण दिया जाएगा।

स्वामी अमृतानंद धर्म संसद के होंगे मुख्य आयोजक, संतों से करेंगे
स्वामी अमृतानंद धर्म संसद के मुख्य संयोजक होंगे। जो पूरे देश में जाकर संतों को धर्म संसद के लिये निमंत्रित करेंगे। स्वामी अमृतानंद ने बताया कि आज सनातन धर्म और हिन्दू समाज के अस्तित्व पर ही प्रश्नचिन्ह लग चुका है। आज हिन्दुओ के पास न तो कोई ऐसा प्रामाणिक धर्मगुरु है जो उनके लिये लड़ता हो और न ही कोई राजनैतिक नेता है।जितने भी तथाकथित हिन्दू संगठन हैं, वो भी केवल अपने क्षुद्र स्वार्थों के लिये कार्य करते हैं। ऐसे में हिन्दुओं की स्थिति अनाथ जैसी हो चुकी है। ऐसी परिस्थितियों में हिन्दू समाज को अपने धर्मगुरुओं की ओर देखना चाहिये या नहीं, यह तय होना आज बहुत जरूरी हो चुका है। यह धर्म संसद इस यक्ष प्रश्न का उत्तर खोजने के लिए ही आयोजित की जा रही है। इस धर्म संसद में भारत वर्ष के सभी प्रमुख हिंदूवादी कार्यकर्ताओं से भी भाग लेने का आग्रह किया जाएगा।

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