



-चुनावों में पोस्टल बैलेट की गणना के बाद ही ईवीएम की गणना की जाती थी
-इस बार पोस्टल बैलेट और ईवीएम की गणना अलग-अलग कक्षों में होगी
-हर कक्ष में जगह के हिसाब से सात से लेकर 14 टेबल लगाई जाएंगी
-जिन विधानसभा क्षेत्रों में कम सर्विस वोटर हैं, वहां के नतीजे जल्दी और जहां अधिक सर्विस वोटर हैं वहां के नतीजे देर में आएंगे
दैनिक समाचार, हरिद्वार
प्रदेश में 10 मार्च को होने वाली विधानसभा चुनाव की मतगणना में इस बार पोस्टल बैलेट की गणना ईवीएम के मतों की गणना के साथ चलेगी। अभी तक हुए चुनावों में पोस्टल बैलेट की गणना के बाद ही ईवीएम की गणना की जाती थी। इस बार पोस्टल बैलेट और ईवीएम की गणना अलग-अलग कक्षों में होगी। हर कक्ष में जगह के हिसाब से सात से लेकर 14 टेबल लगाई जाएंगी। इनमें पोलिंग बूथ की संख्या के हिसाब से चक्रवार मतगणना की जाएगी। मुख्य निर्वाचन कार्यालय की ओर से मिली जानकारी के अनुसार सुबह 8:00 बजे से पोस्टल बैलेट की गिनती शुरु हो जाएगी तो वही 8:30 बजे से ईवीएम से वोटों की गिनती शुरु की जाएगी। आपको बता दे कि उत्तराखंड विधानसभा चुनाव की मतगणना गुरुवार को होनी है। इसके लिए राज्य मुख्य निर्वाचन अधिकारी कार्यालय ने तैयारियां पूरी कर ली हैं। राज्य की मुख्य निर्वाचन अधिकारी सौजन्या ने बताया कि मतगणना के लिए 13 केंद्र, यानी हर जिले में एक केंद्र बनाया गया है, जहां मतदान के बाद ईवीएम रखी गई हैं। मतगणना पर नजर रखने के लिए 70 पर्यवेक्षक तैनात किए गए हैं। हर विधानसभा सीट के लिए एक पर्यवेक्षक की तैनाती सुनिश्चित की गई है। मतगणना के लिए हर विधानसभा में तीन कक्ष बनाए गए हैं। दो कक्ष में ईवीएम में हुई वोटिंग की गणना की जाएगी तो एक कक्ष पोस्टल बैलेट की गणना के लिए रखा गया है। पोस्टल बैलेट की गणना के लिए तीन से लेकर 10 प्री काउंटिंग टेबल लगाए गए हैं, जहां सैन्य पोस्टल बैलेट की गणना की जाएगी। सैन्य पोस्टल बैलेट तीन लिफाफों में बंद रहेंगे। इसमें सबसे ऊपर वाले लिफाफे में एक क्यूआर कोड, इसके भीतर वाले दूसरे लिफाफे, जिसे डिकलरेशन शीट कहते हैं, में दो क्यूआर कोड और सबसे अंदर वाले लिफाफे में एक क्यूआर कोड होगा। इन्हें स्कैन किया जाएगा। इसके बाद जो पूरी तरह सही पाए जाएंगे, उन्हें गणना के लिए रखा जाएगा। मतदान कर्मियों, पुलिस कर्मियों, 80 वर्ष से अधिक आयु वाले मतदाताओं और दिव्यांग मतदाताओं के पोस्टल बैलेट अलग टेबल पर गिने जाएंगे। इटीबीपीएस की गणना में समय लगेगा, इसलिए जिन विधानसभा क्षेत्रों में कम सर्विस वोटर हैं, वहां के नतीजे जल्दी और जहां अधिक सर्विस वोटर हैं वहां के नतीजे देर में आएंगे।