उत्तराखंड में गजब हुआ, जनता ने सीएम और मुख्यमंत्री के दावेदारों को हराया

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी खटीमा, पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत लालकुंआ और आप के सीएम चेहरा कर्नल कोठियाल गंगोत्री सीट से हारे
​उत्तराखंड में मुख्यमंत्री रहते कोई जीत नहीं सका, एक बार भगत सिंह कोश्यारी जीते थे लेकिन सरकार नहीं बना सके थे


नवीन पाण्डेय, देहरादून: उत्तराखंड के मतदाताओं ने अबकी गजब की सियासी तस्वीर पेश की है। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री और मुख्यमंत्री के दावेदार पार्टियों के नेताओं को हरा दिया है। इसके साथ ही उत्तराखंड में सीएम रहते हार जाने का मिथक भी नहीं टूट सका । चूंकि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी हार गए हैं इसलिए बीजेपी में सीएम का चेहरा कौन होगा इस पर बैठक में मंथन होगा।
कांग्रेस प्रत्याशी भुवन चंद्र कापड़ी 2017 में विधानसभा का चुनाव हार गए थे लेकिन अबकी उन्होंने खटीमा सीट से मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को पटकनी दे दी है। रामनगर से चुनाव लड़ने की कोशिश कर रहे पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत को अंतिम समय में लालकुंआ सीट पर भेज दिया गया। जहां से उन्हें हार का सामना करना पड़ा है। उन्हें भाजपा के प्रत्याशी मोहन सिंह बिष्ट ने करारी हार दी है। तो दूसरी ओर, गंगोत्री विधानसभा सीट से आप के सीएम चेहरा कर्नल अजय कोठियाल भी चुनाव जीत नहीं सके। इस सीट पर भाजपा और कांग्रेस के प्रत्याशियों के बीच ही कांटे की टक्कर देखने को मिली। इस बीच, मुख्यमंत्री रहते हार के मिथक को अबकी उत्तराखंड में पुष्कर सिंह धामी भी नहीं तोड़ पाए।

सरकार रिपीट होने का टूटा मिथक
उत्तराखंड में जिसकी सरकार रहती है, वह सरकार दोबारा नहीं बना पाती है। यानि एक बार बीजेपी और एक बार कांग्रेस या गठबंधन के साथ सरकार बनाने का सिलसिला उत्तराखंड में चलता रहा। फिलहाल उत्तराखंड में बीजेपी की सरकार है। कांग्रेस ने दावा किया था वह सरकार बनाएगी। यानि वही मिथक एक बार हम, एक बार तुम। लेकिन अबकी बार बीजेपी ने दोबारा सरकार बनाने के लिए बहुमत हासिल करके मिथक को तोड़ दिया है।

सात दशक बाद भी नहीं टूट सका गंगोत्री का मिथक
सत्ता के द्वार खोलने के मिथक वाली गंगोत्री सीट का मिथक सात दशक बाद इस विधानसभा चुनाव में भी बरकरार रहा है। गंगोत्री सीट से भाजपा प्रत्याशी सुरेश चौहान ने शानदार जीत दर्ज की है। अविभाजित उत्तरप्रदेश के समय वर्ष 1952 करीब सात दशकों से गंगोत्री सीट पर जिस पार्टी का विधायक जीता सूबे में उसकी सरकार बनने का मिथक चला आ रहा है। इस चुनाव में भी इस मिथक के चलते सभी की निगाहें इस सीट के परिणाम पर बनीं हुई थी। गंगोत्री मंदिर समिति के अध्यक्ष रावल हरीश सेमवाल का कहना है कि मां गंगा यहां की प्रधान देवी है। गंगा और यमुना इस प्रदेश व देश की धमनियों की तरह हैं। विशेषकर मां गंगा के आशीर्वाद से सीट पर जीतने वाले प्रत्याशी को सत्ता में रहने का सुख मिलता है। इसलिए यह मिथक आगे भी कायम रहेगा।

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