कहां अदालत ने तत्कालीन एसओ को सुनाई सजा, किस मामले में हुई कार्रवाई

रिजर्व फारेस्ट में अनाधिकृत प्रवेश पर खाकी के खिलाफ अदालत का बड़ा फैसला
हरिद्वार प्रभाग के चिड़ियापुूर रेंज में अनाधिकृत प्रवेश और खैर की डॉट ले जाने का मामला
सीजेएम कोर्ट ने सुनाया दो साल की सजा और पांच हजार रुपये का जुर्माना

दैनिक समाचार, हरिद्वार: रिजर्व फारेस्ट में अनाधिकृत प्रवेश और वन उपज को जंगल से हटाने के मामले में अदालत ने तत्कालीन एसओ श्यामपुर के खिलाफ बड़ा आदेश दिया है। तत्कालीन एसओ को वन कानून के उल्लंघन का दोषी मानते हुए दो साल की सजा और 5000 रुपये जुर्माना की सजा सुनाई है।
हरिद्वार वन प्रभाग अंतर्गत चिड़ियापुर रेंज के कोटावाली वन क्षेत्र का ये मामला है। तत्कालीन रेंजर जगदीश प्रसाद कुकरेती ने एक सितंबर 2004 को मुकदमा दर्ज किया कि श्यामपुर थाना क्षेत्र की एसओ साधना त्यागी ने वन में अनाधिकृत रूप से प्रवेश किया। उन्होंने किसी सक्षम अधिकारी से वन में प्रवेश करने और वहां से वन उपज हटाने या ले जाने की अनुमति न ली थी और न ही किसी को सूचना दी थी। मुकदमे में कहा गया था कि श्यामपुर एसओ साधना त्यागी ने चिड़ियापुर रेंज में अनाधिकृत प्रवेश करते हुए वहां से खैर की लकड़ी की चार डॉट उठा लाई थी। हरिद्वार के एसीजेएम
अरुण वोरा ने गवाहों आदि को सुनने के बाद इस मामले में अहम और बड़ा फैसला दिया। तत्कालीन एसओ श्यामपुर को दो साल की सजा और पांच हजार रुपये का जुर्माना की सजा सुनाई गई है।

कानून का पालन सभी को करना होता है। अदालत भी कानून के मुताबिक ही अपना फैसला सुनाती है। तत्कालीन एसओ भी जिम्मेदार अधिकारी थी लेकिन उन्होंने संबंधित विभाग और कानून का पालन नहीं किया। लिहाजा अदालत ने ये फैसला सुनाया है। जहां तक उनकी जानकारी में हैं आईपीएसी की धाराओं के तहत वर्दी वालों के खिलाफ अदालत ने कई फैसले सुनाये हैं लेकिन वन से सं​बंधित मामले और वन कानून के उल्लंघन में हरिद्वार में संभवत: इस तरह का ये पहला मामला हो सकता है।
राजेश त्रिवेन्द्र, वरिष्ठ अधिवक्ता, वन विभाग, हरिद्वार

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