



-नेता प्रतिपक्ष या फिर कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष का पद मिल सकता है
-इस बार संजीव चुनाव हार गए और य़शपाल खुद बमुश्किल 1100 वोटों से जीत सके
दैनिक समाचार, देहरादून
भाजपा छोड़ने के बाद बने हालात में भले य़शपाल आर्य को अपना फैसला रास न आ रहा हो। लेकिन उत्तराखंड कांग्रेस में बदली सियासत के माहौल में आर्य का सियासी कद बढ़ सकता है। सूत्रों का कहना है कि उन्हें नेता प्रतिपक्ष या फिर कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष का पद मिल सकता है। 2012 में कांग्रेस की सरकार में मंत्री रहे य़शपाल आर्य ने 2017 में भाजपा ज्वाइन की। भाजपा ने यशपाल आर्य और उनके पुत्र संजीव को टिकट दिया। दोनों ही जीते और य़शपाल फिर से काबीना मंत्री बन गए। 2022 के चुनाव से छह माह पहले पिता-पुत्र ने फिर से पाला बदला और कांग्रेस में चले गए। इस बार संजीव चुनाव हार गए और य़शपाल खुद बमुश्किल 1100 वोटों से जीत सके। फिर सरकार भाजपा की बनने की जा रही है। ऐसे में पिता-पुत्र को भाजपा छोड़ने का अपना फैसला शायद ही रास आ रहा हो। भाजपा में काबीना मंत्री रहे य़शपाल आर्य कांग्रेस में महज एक विधायक ही रह गए हैं। सियासी जानकारों का कहना है कि उत्तराखंड कांग्रेस के बदले हालात में य़शपाल आर्य़ का सियासी कद बढ़ सकता है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गणेश गोदियाल इस्तीफा दे चुके हैं और प्रीतम के फिर से नेता प्रतिपक्ष बनने की राह में हरीश रावत का दखलंदाजी बाधा खड़ी कर सकती है। माना जा रहा है कि हरदा इस माहौल में यशपाल आर्य पर दांव खेल सकते हैं। चुनाव से पहले हरदा ने दलित मुख्यमंत्री की बात करके यशपाल को रिझाया था। अब सरकार भाजपा की बन रही है ऐसे में हरदा यशपाल को आगे कर सकते हैं।सूत्रों का कहना है कि अगर प्रीतम सिंह का नेता प्रतिपक्ष का ओहदा बरकरार रहता है तो आर्य़ को प्रदेश अध्यक्ष बनाया जा सकता है। और अगर प्रीतम किन्हीं वजहों से पिछड़ते हैं तो नेता प्रतिपक्ष आर्य को बनाया जा सकता है। दोनों ही हालात में कांग्रेस कुमाऊं और गढ़वाल के बीच क्षेत्रीय और जातीय संतुलन साधने में सफल हो सकती है।